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पराली जलाने वाले किसान पीएम सम्मान निधि के अंतर्गत होने वाले लाभ से रहेंगे वंचित

पराली

धान की कटाई अभी चल रही है। किसान कंबाइन हार्वेस्टर मशीन के जरिये धान की कटाई कराकर खेतों में बचने वाली पराली को खेत में ही जला देते हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पराली जलाने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग ऐसे किसानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए जाने तोहफे से वंचित करने की योजना बना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तोहफा यानी किसान सम्मान निधि। इसके तहत 15 सितंबर से 14 नवंबर तक जिले में पराली जलाने की कुल 48 घटनाएं सेटेलाइट के जरिये रिकार्ड हुई हैं।


उप निदेशक कृषि धीरेंद्र सिंह चौधरी ने बताया कि पिछले वर्ष इस अवधि में पराली जलाने के 63 मामले सामने आए थे। इस बार कुल 48 घटनाएं सामने आई हैं। जांच में इनमें से 25 घटनाएं ही पराली जलाने की पाई गईं। अन्य मामले कूड़ा आदि जलाने के थे। दो घटनाओं की पुष्टि नहीं हो सकी, जबकि एक रामपुर जिले की थी। अब तक किसानों पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने के साथ ही स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) के बिना चल रही एक कंबाइन हार्वेस्टर मशीन को सीज किया गया है। पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है।


एक टन धान के फसल अवशेष जलाने से तीन किलो कणिका तत्व, 60 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 1460 किलो कार्बन डाईआक्साइड, 199 किलो राख एवं दो किलो सल्फर डाई आक्साइड अवमुक्त होती है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता खराब होने से आंखों में जलन, त्वचा रोग, श्वास एवं हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। एक टन धान की पराली जलाने से लगभग पांच-पांच किलो पोटैशियम आक्साइड, 1.2 किलो सल्फर, धान द्वारा शोषित 50-70 प्रतिशत सूक्ष्म पोषक तत्व एवं 400 किलो कार्बन की क्षति होती है।

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