देश में 2019 के बाद किशोर सुसाइड केसों का आंकड़ा पहुंचा 57 फीसदी, प्रति वर्ष 1.39 लाख आत्महत्या

भारत देश में किशोर सुसाइड एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, कई वजह से लोगों को मौंत के रास्ते को चुनना पड़ता है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक प्रति 1.4 मिनट में एक सुसाइड हो रही है। साल 2019 में 1.40 लाख मामले हुए थे, जो 2020 के बाद आंकड़ा बढ़ा है। 14-30 वर्ष के लोगों में 41-57 फीसदी आत्महत्याएं सामने आई है। युवा वर्ग में आत्महत्या करने की वजह घरेलू विवाद, गुप्त बीमारी, एग्जाम में फेल, बेरोजगारी, लव अफेयर और शादी जैसे गंभार मामले शामिल है। 30 जुलाई लोकसभा में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एनसीआरबी डाटा के अनुसार बताया था कि किशोरों में सुसाइड केसों की संख्या काफी बढ़ रही है। 2018 के मुकाबले 2019 में 3.4 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। जानकारी के मुताबिक 2017 से 2019 तक सबसे अधिक घरेलू विवाद के कारण आत्म हत्याओं के मामले सामने आए थे। इनमें 18-30 साल के लोगों की संख्या अधिक है। वहीं 3 सालों में 200 से अधिक महिलाओं ने रेप व उत्पीड़न जैसी गंभीर समस्याओं की वजह से आत्महत्या की है। आंकड़ो के मुताबिक 2019 में 2,151 युवाओं ने ग्रह क्लेश से, 1,379 एग्जाम की वजह से, 1,257 लव फेयर के कारण सुसाइड की है। इसी कड़ी में शादी से परेशान व्यक्ति और चिंताजनक बीमारियों की वजह भी शामिल है। बता दें कि आपत्तिजनक बीमारी से 5,786 और शादी की परेशानी से 4,236 लोगों ने सुसाइड की है। इनमें 4509 महिलाओं ने दहेज उत्पीड़न की वजह से अपनी जान की कुर्बानी दी है, इनमें 59 बाल वैवाहिक लड़की शामिल है। जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा लोगों ने मानसिक बीमारी या पागलपन की वजह से सुसाइड की है, जिनमें कैंसर, एड्स और पैरालिसिस जैसी बीमारी शामिल है। साल 2019 में 5,957 किसानों ने परेशान होकर आत्महत्या की है, किसानों का ग्राफ 2019 से 2020 तक 3.2 फीसदी बढ़ा है। इनमें अधिकांश यूपी, महाराष्ट्र, विहार, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, मध्यप्रदेश और केरल की तरह कई राज्य शामिल है। 2020 के ग्राफ में 2.1 फीसदी की गिरावट आई है।

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