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दूसरों के लिए बने मिसाल, दहेज में रामायण स्वीकार कर वर वधू ने मंदिर में लिए सात फेरे

विवाह के समय वधू पक्ष की तरफ से वर पक्ष को दहेज के नाम पर धन, सम्पत्ति, तोहफे आदि दी जाने की प्रथ भारत में सदियों पुरानी है। कई अभियानों और सख्त कानूनों के बाद भी इस प्रथा को देश की जड़ों से दूर नहीं किया जा सका है। शादी के समय तमाम परिवार कर्ज के बोझ में कुछ इस तरह दब जाते है कि फिर संभलने में सालों लग जाते हैं। वधू पक्ष को इसी बोझ से बचाने और इस प्रथा पर विराम लगाने की ओर बिहार के एक जोड़े ने एक कदम उठाया।
दरअसल, बिहार की राजधानी पटना के समीप देवकली मंदिर में यह शादी हुई, जिसमें देशवासियों को दहेज प्रथा के विरोध में बड़ा संदेश दिया गया। बता दें कि 20 मिनट में शादी सम्पन्न की गई इस शादी में दहेज के रूप में वर ने रामायण सीकर की। कोरोना महामारी के चलते दोनों ओर से विवाह में केवल कुछ रिश्तेदार ही शामिल हुए थे।
कलान के सनाय गांव में रहने वाले पुष्पेंद्र दुबे एक स्कूल चलाते हैं। उनका विवाह हरदोई के केशवपुर गांव की प्रीति से तय हुआ था। खर्च रहित विवाह का समाज को संदेश देने के लिए पुष्पेंद्र ने ससुराल जनों को पहले ही कह रखा था कि वह दहेज में सिर्फ रामायण की प्रति स्वीकार करेंगे। साथ ही विवाह भी बगैर किसी तामझाम के मंदिर में होगा। ससुराल वालों ने होने वाले दामाद की मांग सहर्ष स्वीकार कर ली। 13 मई को पुष्पेंद्र और प्रीति का विवाह कलान के पटना देवकली स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में संपन्न हुआ। महंत अखिलेश गिरी ने दोनों का विवाह कराया। इस दौरान नवदंपति ने मंदिर में सात फेरे लेकर सात जन्मों तक साथ निभाने का वचन एक-दूसरे को दिया। पुष्पेन्द्र का कहना है कि गैर जरूरत के केवल दिखावा करने में भी कर्ज का बोझ झेलना पड़ता है इसीलिए साधारण शादी के कार्यक्रम होने से दोनों पक्षों की बड़ी बचत होगी।

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