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तालिबान की ताकत के आगे नतमस्तक हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति, देश छोड़ने के बाद बोले- खून की नदियां बहने से रोकने के लिए उठाया कदम

अफगानिस्तान की सरज़मीं पर एक बार फिर 20 सालों के बाद आतंकी संगठन तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है। तालिबान ने अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। संगठन के लड़ाकों का कंधार पर पूरी तरह से नियंत्रण हो गया है, वहीं काबुल पर भी धीरे-धीरे पकड़ मजबूत होती जा रही है। इसी का ही नतीजा है कि घबराकर अफगानिस्ता ने राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए हैं। खबरों के मुताबिक, गनी इस वक्त ताजिकिस्तान में मौजूद हैं। गनी के फरार होते ही तालिबानियों ने काबुल स्थित राष्ट्रपति महल पर कब्ज़ा कर लिया जिसकी पहली तस्वीर उन्होंने साझा की है। हथियारों से लैस तालिबानी आकाओं ने अफगानिस्तान की सत्ता पर हथियारों के दम पर कब्ज़ा जमा लिया है। जानकारी के अनुसार सत्ता हस्तांतरण का सबसे अधिक जिम्मेदार अमेरिका को माना जा रहा है। जिसने समय से पहले ही अपनी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुला लिया।
बहरहाल, अफगानिस्तान से फरार होने के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सोशल मीडिया के ज़रिये पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दावा किया कि उनके सामने आज एक कठिन चुनाव आया कि हथियारों से लैस तालिबान का सामना करना चाहिए, जो महल में घुसना चाहता था या अपने प्यारे देश अफगानिस्तान को छोड़ना था। उन्होंने आगे कहा कि मैंने पिछले बीस वर्षों में अफगानिस्तान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इसी सिलसिले में उन्होंने बताया कि खून की नदियां बहने से बचाने के लिए मैंने सोचा कि देश से बाहर जाना ही ठीक है। तालिबान ने तलवार और बंदूकों के दम पर जीत हासिल की है और अब वे देशवासियों के सम्मान, धन और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जिम्मेदार होंगे। इतिहास ने ऐसी शक्तियों को कभी नहीं अपनाया है।

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