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चित्रकूट धाम जहां पर भगवान राम ने कामदगिरि पर्वत को बनाया था अपना घर, अमावस्या के दिन पहुंचते हैं लाखों भक्त

मध्य प्रदेश का जिला चित्रकूट श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र माना जाता है। भारत के पवित्र तीर्थस्थलों में चित्रकूट का भी नाम बड़ी श्रद्धा के साथ लिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां हजारों तपस्वियों ने योग साधना कर अपना उद्धार किया है। यहीं पर पत्‍‌नी श्रीअनसूया ही इस समय सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता हैं। इस बात की परीक्षा लेने के लिये त्रिमूर्ती ब्रह्मा, विष्णु व शंकर ब्राह्मण के वेश में अत्रि-आश्रम पहुँचे। अत्रि ऋषि किसी कार्यवश बाहर गये हुए थे। अनसूया ने अतिथियों का बड़े आदर से स्वागत किया। तीनों ने अनसूयाजी से कहा कि हम तभी आपके हाथ से भीख लेंगे जब आप अपने सभी को अलग रखकर भिक्षा देंगी। सती बड़े धर्म-संकट में पड़ गयी। वह भगवान को स्मरण करके कहने लगी “यदि मैंने पति के समान कभी किसी दूसरे पुरुष को न देखा हो, यदि मैंने किसी भी देवता को पति के समान न माना हो, यदि मैं सदा मन, वचन और कर्म से पति की आराधना में ही लगी रही हूँ तो मेरे इस सतीत्व के प्रभाव से ये तीनों नवजात शिशु हो जाँय।” तीनों देव नन्हे बच्चे होकर श्रीअनसूयाजी की गोद में खेलने लगे। श्रद्धालुओं को चित्रकूट जाने के लिए सभी साधन उपलब्ध हैं। हवाई मार्ग से जाने वाले श्रद्धालु 120 किमी दूर इलाहाबाद और 224 किमी दूर लखनऊ पहुंचते हैं। रेल मार्ग से झांसी से बदलकर सीधे चित्रकूट रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं। बस की यात्रा करने वाले सभी श्रद्धालु सीधे धाम में पहुंचते हैं। आपको बता दें कि चित्रकूट बहुत जल्द ही हवाई मार्ग से जुड़ जाएगा। अमावस्या के दिन देश के लाखों श्रद्धालु कामतानाथ की परिक्रमा करने जाते हैं। वहीं भरत कूप में बताया गया कि सभी नदियों और सागरों का जल डाला गया था। यह जल भगवान राम के अभिषेक के लिए मंगवाया गया था। वहीं श्रद्धालु घूमते हुए हनुमान गढ़ी, अनुसुइया आश्रम आदि स्थानों पर दर्शन करने पहुंचते हैं।

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