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ग्रहों की चाल में बदलाव, राशि परिवर्तन में वृश्चिक क्या कहता है?

ग्रहों

सूर्य ग्रह का मंगलवार को वृश्चिक राशि में प्रवेश हुआ। राशि परिवर्तन के बाद उनका गोचर 16 दिसंबर तक इसी राशि में होगा। वृश्चिक राशि में बुद्धि और वाणी के कारक ग्रह बुध का 21 नवंबर को प्रवेश भी होगा। दोनों ग्रहों के एक राशि में गोचर होने से बुधादित्य योग बनेगा। यह युति 10 दिसंबर तक रहेगी, जो तरक्की और खुशहाली लाएगी। बुध की चाल बदलने से एक दिन पहले बृहस्पति भी राशि बदलकर कुंभ में आ जाएगा। इस तरह सप्ताह में 3 ग्रहों का राशि परिवर्तन हो रहा है।

ज्योतिषीयों का कहना है कि सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्य, मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के माने गए हैं। विद्वानों के मुताबिक जब भी बुध और सूर्य एक राशि में आ जाते हैं, तब बुधादित्य योग होगा। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को बेहद ही शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव के शुभ प्रभाव से सुख में वृद्धि, सरकारी नौकरी के योग, तरक्की और सम्मान की प्राप्ति होती है, जबकि अशुभ प्रभाव से पिता-पुत्र में विवाद, बेरोजगारी, और तरक्की में रुकावट आती है।


नव ग्रहों में बुध ग्रह को राजकुमार कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि प्रदान करने वाला ग्रह भी माना गया है। बुध के शुभ होने पर व्यक्ति की भाषा और बोली मधुर होती है। व्यापार आदि में अच्छी सफलता प्राप्त होती है। मिथुन और कन्या राशि के स्वामी बुध ही हैं।

ज्योतिषीयों के मुताबिक 20 नवंबर को देव गुरु बृहस्पति का कुंभ राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति के राशि परिवर्तन को अहम माना जाता है। गुरु अपनी नीच राशि मकर से निकलकर कुंभ में प्रवेश करेंगे। वे एक राशि में करीब 13 माह रहते हैं। आमतौर पर किसी भी राशि में दोबारा आने में गुरु को करीब 12 साल लगते हैं।
12 साल पहले 2009 में गुरु कुंभ राशि में था। कुंभ राशि में बृहस्पति के प्रवेश का असर कुछ राशियों पर शुभ रहेगा। देवगुरु के राशि गोचर से मेष, कर्क, कन्या और मकर राशिवालों के लिए लाभदायक रहेगा।

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