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गणपति की आराधना के लिए कल है खास दिन, ऐसे करें पूजा

हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। मार्गशीर्ष माह की शुरुआत 20 नवंबर 2021 से हो चुकी हैं। मार्गशीर्ष माह की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल 23 नवंबर, मंगलवार के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से गणपति की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के कष्टों का नाश होता है। इस दिन विध्नरहर्ता गणपति की विधि-विधान से पूजा और व्रत रखने से सारी परेशानियां से मुक्ति मिलती है। हर काम में सफलता मिलने लगती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने का आर्शीवाद मिलता है।


ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मंगलवार के दिन पड़ने वाली चतुर्थी को शुभ माना जाता है। इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति संकष्टी व्रत की शुरुआत करना चाहता है तो कहते हैं कि अंगारकी संकष्टी चतुर्थी से शुरुआत कर सकते हैं। मार्गशीर्ष माह की संकष्टीै चतुर्थी तिथि 22 नवंबर 2021, सोमवार की रात 10:26 बजे से शुरू होकर 23 नवंबर 2021, मंगलवार रात 12:55 मिनट बजे समाप्तर होगी। वहीं, चंद्रोदय 23 नवंबर को रात 08:27 मिनट पर होगा।


इस दिन व्रत रख रहे भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निव्रत होना चाहिए। स्नानादि के बाद साफ कपड़े आदि धारण करें। संभव हो तो इस दिन पीले रंग के कपड़े पहने। इसके बाद भगवान के सामने खड़े होकर व्रत का संकल्प लें। व्रत वाले दिन कोई अनाज न खाएं। इस दिन चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं। भगवान गणपति की षोडशोपचार पूजा करें। गणपित को दूर्वा, फल, फूल, चंदन आदि अर्पित करें। धूप-दीप लगाएं। भगवान गणेश को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए उन्हें पीले रंग को फूल और मोदक या बेसन के लड्डू आदि अपर्ति करें। दिन भर उपवास रखने के बाद शाम को चंद्रोदय के बाद आरती करें और व्रत का पारण करें। व्रत के दिन गणेश जी के मंत्र जाप और श्री गणेश स्त्रोत का पाठ करें।

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