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कर्नाटक में मिला ईटा वैरिएंट, निमहांस के वायरोलॉजी लैब

भारत में अल्फा और डेल्टा वैरिएंट्स से अभी निजात नहीं मिल पाई है कि एक दूसरे वायरस ने सभी को चिंता में डाल दिया है। कर्नाटक के मेंगलुरू में नए वैरिएंट ईटा के दो मामले सामने आए हैं। निमहांस के वायरोलॉजी लैब ने दावा किया कि अप्रैल 2020 में इस वैरिएंट्स के लक्षण देखे गए थे। डब्ल्यू एचओ ने इस वैरिएंट्स को वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट माना है। ईटा वैरिएंट मिलने से कई सवाल सामने आने लगे। इस वैरिएंट में वैक्सीन असरदार होगी, पिछले वैरिएंट से अधिक खतरनाक है, क्या भारत में तीसरी लहर को लेकर तबाही मचा देगा? इन सबी सवालों के जबाव में वैक्सीन साइंटिस्ट और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर के प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कंग ने बताया कि पिछले संक्रमण में अल्फा डेल्टा को जिम्मेदार ठहराया गया। उन्होंने कहा कि वायरस नए रूप में इन्फेक्ट करने के लिए जीनोम में बदलाव करते रहते है। महामारी एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत का कहना है कि वायरस हमेशा मल्टीप्लाई होता रहता है। बता दें कि जीनोम के बदलाव को म्यूटेशन और नए रूप में दिखे उसे वैरिएंट कहते है। डब्ल्यू एचओ का दावा है कि अधिक समय रुकने पर वायरस अपने कई रूप बदलता रहता है। इससे मानव जीवन संकट से गुजरता रहता है। ज्ञात हो कि वैरिएंट ओरिजनल वायरस से 43-90 फीसदी इंफेक्शियस होता है। कोरोना शोध में कई प्रकार के विचार आते रहते है, जिनमें कई शोध चिंताजनक भी होते है। बता दें कि ईटा वैरिएंट को लाइनेज (B.1.525) कहा जाता है। एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के ईटा वैरिएंट में ई484के म्यूटेशन मौजूद होने से इसका असर गामा, जीटा और बीटा वैरिएंट्स में मिला था। एक्सपर्ट सुझाव के अनुसार अल्फा, बीटा, गामा में एन501वाई की मौजूदगी न होने से कम खतरनाक साबित हुआ है। इसमें पोजिशन 69 और 70 पर अमीनो एसिड्स हिस्टिडिन और वैलाइन उपस्थित होने से काफी खतरा भी पहुंचाता है। शोध के मुताबिक जो वायरस का ट्रांसमिशन, गंभीर लक्षण, इम्यूनिटी पॉवर को चकमा दें और डायग्नोसिस से बचने की क्षमता हो ऐसे वैरिएंट को वीओएल की कैटागरी में रखा गया है। सीडीसी के मुताबिक ईटा वैरिएंट दिसंबर 2020 में यूनाइटेड़, किंगडम और नाइजीरिया में मिले था। 5 अगस्त 2020 को कर्नाटक के मेंगलुरू में इस वैरिएंट के लक्षण 2 लोगों में मिले है। यूएस के मेड़िकल एडवाइजर डॉ. एंथनी ने दावा किया कि सभी देश के लोग वैक्सीन जरूर लगवाए ताकि इसके म्यूटेशन को कम किया जा सके।

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