श्राद्ध की अमावस्या और पितृपक्ष का महत्व

ऐसा माना जाता है कि पितरों के खुश होने पर देवता भी खुश होते हैं। यही कारण है कि हमारे भारतीय संस्कृति मे पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। इसके पिछे यह कारण है कि अगर मृतकों का श्राद्ध नहीं हो तो उनके आत्मा को शांति नहीं मिलती है। इसकी विधि में अमावस्या के दिन सुबह सुबह स्नान के बाद गायत्री मंत्र मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्य को जल देकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है।
साथ ही घर में विभिन्न तरह पकवान बनाए जाते है। और गाय, कुत्ते, कौए और देव और चिटियों और फिर ब्रम्हण को भोजन कराने की विधि होती है। माना जाता है कि श्राद्ध के दिन बने पकवान को पहले खुद नहीं खाना चाहिए। और पितृपक्ष के अवधि में किसी भी तरह के नए समान और गाड़ी, कपड़े नहीं खरीदी जाती है।