रेप करने पर इन 5 देशों में मिलती है ये खतरनाक सज़ा

रेप

रेप एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर ही रूह कांप उठती है। रेप को घिनौना किस्म के जुर्मों में गिना जाता है। कानून की नजरिए से रेप एक जघन्य अपराध है। रेप का मतलब होता जब किसी महिला के विरूद्ध यदि कोई व्यक्ति उसके साथ शारीरिक सबंध बनाता हैं,तो उसे बलात्कार या रेप करते हैं। वैसे ये बात जानकर आपको हैरानी होगी कि अपने देश भारत में पति को रेप का अधिकार हैं। ऐसे ही आज आपको दुनिया के 5 देशों के बारे में बताते हैं जहां कुछ कानून एंटी वूमेन हैं।


पहला भारत देश के बारे में बात करते हैं जहां पति को बलात्कार करने की पूरी आजादी है। भारत सहित दुनिया के 49 ऐसे देश हैं, जहां पत्नी से रेप करने वाले पति को समाज के साथ-साथ कानून भी दोषी नहीं मानता है। भारत में आईपीसी की धारा 375 और 376 के तहत महिलाओं के साथ रेप किए जाने को जघन्य अपराध माना जाता है। वैसे इस तरह के केस में उम्र कैद या मौत की सजी दी जाती है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भारत में अपनी पत्नी के साथ कोई रेप करे तो इस कानून के तहत कोई सजा तो छोड़िए कार्रवाई तक नहीं होती है।
दूसरा अमेरिका में मर्दों को रेप करके पिता बनने का पूरा हक हैं। अमेरिका में रेप के बाद रेपिस्ट पैरेंटल राइट के तहत पीड़िता से बच्चे की मांग कर सकता है। इस कानून के कारण अमेरिका के मैरीलैंड, अलबामा, मिसिसिपि, मिनेसोटा, नॉर्थ डकोटा, न्यू मैक्सिको में हजारों रेप पीड़िता न चाहते हुए भी रेपिस्ट के बच्चे की मां बनने के लिए मजबूर होती हैं। अमेरिका के बाकी राज्यों में रेपिस्ट को बच्चे का अधिकार मानने से रोकने का कानून है, लेकिन इन राज्यों में नहीं है। हर वर्ष अमेरिका के इन राज्यों में 17 हजार से 32 हजार महिलाओं से रेप होता है, जिसमें 32% से 35% मामलों में रेपिस्ट अपने रेप से पैदा संतान को अदालत के जरिए मांगता है।


तीसरा, सूडान में लड़कियों को 10 साल के बाद शादी कर दी सकती है। दूसरे देशों में जब लड़कियां इस उम्र में होमवर्क करने की सोचती हैं, उस उम्र में सूडान में बेटियां ब्याह दी जाती हैं। वहीं सूडान में आज के समय में हर तीन में से एक लड़की की शादी 18 साल से पहले ही करा दी जाती हैं। और देश का कानून इसका समर्थन करता है। जब इन लड़कियों के शरीर में बदलाव ही हो रहे होते हैं तभी कई लड़कियां मां बना दी जाती हैं।


चौथा, जॉर्डन जैसे देश में ऑनर किलिंग को अपराध नहीं माना जाता है। इस देश के पीनल कोड के आर्टिकल 340 और 98 के तहत ऑनर किलिंग को गंभीर अपराध नहीं माना गया है। इस कानून के तहत यदि महिला का मर्डर परिवार के इज्जत को ठेस पहुंचाने की वजह से किया जाता है तो आरोपी की सजा को जज कम कर सकते हैं।


इन देशों में पाचवां देश है रुस, यहां घरेलू शोषण अपराध नहीं माना जाता है। साल 2017 में रूस की संसद ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले घरेलू शोषण को अपराध नहीं मानने वाले संशोधन के पक्ष में भारी मतदान किया था। भारत की तरह ही रूस में भी इस मामले को निजी बताया गया था। रूस के सरकारी रिपोर्ट की मानें तो रूस में हर 40 मिनट में एक महिला की मौत अपने पार्टनर या पति की वजह से हो रहा है। ऐसे में रूस के संसद द्वारा घरेलू शोषण को अपराध नहीं मानने वाले संशोधन का एनजीओ और महिला समर्थकों ने विरोध किया था।

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